अकाल के कारण वर्ष 1897 में सिंहस्थ उज्जैन की जगह महिदपुर में हुआ था
Publish Date:14-Jan-2016 18:25:19
उज्जैन नगर में वर्ष 1897 में होने वाला सिंहस्थ उज्जैन में नहीं हुआ था। वर्ष 1897 का सिंहस्थ उज्जैन के स्थान पर महिदपुर में हुआ था। आज से 118 वर्ष पहले वर्ष 1897 में उज्जैन में भीषण अकाल पड़ा था। अन्न और जल के अभाव में लोग सिंहस्थ वर्ष में पलायन करने लगे थे। क्षिप्रा नदी में पानी भी सूख गया था, जिसके कारण स्नान की समस्या आ गयी थी। साधुओं के लिये अन्न-जल के प्रबंध की समस्या भी थी।
तत्कालीन रियासत सिंहस्थ की व्यवस्था करने में असहाय महसूस करने लगी थी। सिंधिया शासन ने इंदौर के होल्कर राजा के माध्यम से साधुओं को यह संदेश दिया कि अकाल के कारण उनके लिये उज्जैन में सिंहस्थ करना कठिन होगा। उस समय इंदौर से होल्कर उन्हेल होते हुए महिदपुर का रास्ता था।
महिदपुर में होल्कर रियासत का राज था। क्षिप्रा की एक उगाल अर्थात पानी का एक बड़ा हिस्सा महिदपुर के गंगवाड़ी क्षेत्र में भी था। होल्कर नरेश ने साधुओं के सिंहस्थ स्नान की व्यवस्था गंगवाड़ी में की और यहाँ आने वाली जमातों के लिये सभी जरूरी प्रबंध किये गये। इस कार्य से साधुओं के गंगवाड़ी पहुँचने पर महिदपुर में सिंहस्थ मेला भरा और साधुओं ने गंगवाड़ी में स्थित क्षिप्रा नदी में ही स्नान किया। उस समय सिंहस्थ के इतिहास में यह पहली घटना थी, जब सिंहस्थ के दौरान रामघाट और समूचा मेला क्षेत्र सूना रहा। सिंहस्थ उज्जैन से 60 किलोमीटर दूर महिदपुर में हुआ। इसके बाद सन् 1919 में अगला सिंहस्थ परम्परागत रूप से उज्जैन में ही हुआ।
ग्रीन सिंहस्थ के लिये वन विभाग ने किया पौने दो लाख पौधों का रोपण
उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई, 2016 को होने वाले सिंहस्थ को पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर करने के लिये ग्रीन सिंहस्थ का रूप दिया जा रहा है। उज्जैन जिले के वन विभाग ने वर्ष 2013-14 से लेकर अब तक पौने दो लाख पौधों का रोपण किया है। वन विभाग ने मुख्य रूप से पंचक्रोशी मार्ग, सिंहस्थ क्षेत्र तथा उज्जैन शहर में पौध-रोपण किया है।
वन विभाग ने क्षिप्रा के किनारे लालपुर के समीप भूखी माता के सामने 600 मीटर क्षेत्र में औषधि पौधों का रोपण भी किया है। सुनहरी, वाल्मीकी और त्रिवेणी-घाट पर भी पौध-रोपण किया गया है। बढ़, पीपल, करंज और बाँस प्रजाति के पौधे लगाये गये हैं। विभाग ने पिछले साल 70 हजार पौधे उज्जैन शहर में लगवाये। इनमें फूलदार पौधों के अलावा छायादार पौधे भी शामिल हैं। शहर में नीम और कनेर के पौधे भी रोपे गये हैं। वन विभाग ने पंचक्रोशी मार्ग पर वर्ष 2013-14 में 46 हजार पौधे 44 किलोमीटर क्षेत्र में रोपित किये हैं। वर्ष 2014-15 में 10 हजार पौधे 12 किलोमीटर के पंचक्रोशी मार्ग पर लगाये गये हैं। इस वर्ष 2015-16 में 5308 पौधे पंचक्रोशी क्षेत्र में अतिरिक्त रूप से रोपे गये हैं।
सेवा संस्थाओं को ब्राण्डिंग के लिये 10 प्रतिशत स्थान
उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान जन-सेवा देने वाली संस्थाओं को अपने संस्थान की ब्राण्डिंग के लिये 10 प्रतिशत स्थान नि:शुल्क दिया जायेगा। जिस स्थान पर व्यवसायिक कम्पनी, संगठन अपनी सेवा देंगे, उसके 10 प्रतिशत हिस्से पर वह अपने से संबंधित प्रतीक-चिन्ह, मोनो या स्वयं की जानकारी प्रदर्शित कर सकेंगे। इसके लिये सेवा देने वाले संगठनों और कम्पनियों से एमओयू किया जायेगा।
सेवा देने वाले संगठनों की तरफ से 43 आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह संगठन वॉल-पेंटिंग, चेंजिंग-रूम का निर्माण, प्याऊ, ड्रेस एवं केप उपलब्ध करवायेंगे। रिलायंस कम्पनी ने फोर जी इंटरनेट, वाई-फाई सेवाओं से लेकर अन्य सेवाएँ भी दिये जाने के प्रस्ताव मेला कार्यालय को दिये हैं।