25-Apr-2024

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गणपति बप्पा के इन मंदिरों के दर्शन से कट जाते हैं कष्ट

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देशभर में 'गणपति बप्पा मोरया' की गूंज सुनाई दे रही है। गुरुवार को गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर लोग अपने घरों में बप्पा को ले आए हैं। आने वाले 10 दिनों तक भक्त बप्पा को अपने घर में बिठाए रखेंगे और फिर अनंत चतुर्दशी के मौके पर बप्पा को भीगी पलकों के साथ, अगले साल फिर जल्‍दी आने का वादा लेकर विदा कर देंगे। वैसे तो देशभर में बप्पा के कई मंदिर हैं लेकिन 10 ऐसे मंदिर हैं जिनके दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं।

सिद्घिविनायक मंदिर, मुंबई

मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की उनकी सूड़ दाईं ओर मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धिविनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी नाराज भी होते हैं। मुंबई का ये सिद्घिविनायक मंदिर सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्‍िक विदेशों में भी काफी मशहूर है।

पुणे के मंडई गणपति

मंडई के गणेश मंडल को भक्‍त अखिल मंडई गणपति के नाम से भी जानते हैं। पुणे में इस गणेश मंडल का बहुत महत्‍व है। गणपति महोत्‍सव के दौरान यहां भक्‍तों की खूब भीड़ होती है।

पुणे के ही श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर

श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई गणपति मंदिर में भक्तों की भगवान के प्रति आस्था साफ नजर आती है। कोई इन्हें फूलों से सजाता है, तो कोई बप्पा को सोने से लाद देता है, तो कोई मिठाई से सजाता है। इतना ही नहीं कुछ भक्त तो मंदिर को नोटों से भी ढक देते हैं।

चित्तूर का कनिपक्‍कम विनायक मंदिर

आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे कनिपक्कम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है। इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी। बाद में इसका विस्तार 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया। जितना प्राचीन ये मंदिर है उतनी ही दिलचस्प इसके निर्माण के पीछे की कहानी भी है। कहते हैं यहां हर दिन गणपति का आकार बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही ऐसा भी मानते हैं कि अगर कुछ लोगों के बीच में कोई लड़ाई हो, तो यहां प्रार्थना करने से वो लड़ाई खत्‍म हो जाती है।

पांडिचेरी का मनाकुला विनायगर मंदिर

भगवाग श्री गणेश का ये मंदिर पांडिचेरी में स्‍िथत है। पर्यटकों के बीच ये मंदिर आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। प्राचीन काल का होने के कारण इस मंदिर की बड़ी मान्‍यता है। कहते हैं कि क्षेत्र पर फ्रांस के कब्‍जे से पहले का ये मंदिर है। दूर दराज से भक्‍त यहां भगवान श्रीगणेश के दर्शन करने आते हैं।

केरल का मधुर महा गणपति मंदिर

इस मंदिर से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि शुरुआत में ये भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था, लेकिन पुरानी कथा के अनुसार पुजारी के बेटे ने यहां भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। पुजारी का ये बेटा छोटा सा बच्‍चा था। खेलते-खेलते मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई उसकी प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी। वो हर दिन बड़ी और मोटी होती गई। उस समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।

तमिलनाडु का उच्ची पिल्लैयर मंदिर

दक्षिण भारत का प्रसिद्ध पहाड़ी किला मंदिर तमिलनाडु राज्य के त्रिची शहर के मध्य पहाड़ के शिखर पर स्थित है। चैल राजाओं की ओर से चट्टानों को काटकर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। यहां भगवान श्री गणेश का मंदिर है। पहाड़ के शिखर पर विराजमान होने के कारण गणेश जी को उच्ची पिल्लैयर कहते हैं।

राजस्थान के रणथंभौर गणेश जी

रणथंभौर गणेश जी रणथंभौर किले के महल पर बहुत पुराना मंदिर है। ये मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। यहां तीन नेत्र वाले गणेश जी आपको मिलेंगे। ये गणेश जी नारंगी रंग के हैं और विदेशियों के बीच काफी प्रचलित हैं। दूर-दूर से लोग यहां बप्‍पा के इस अद्भुत रूप का दर्शन करने के लिए आते हैं। उनके वाहन चूहे को भी यहां रखा गया है।

जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर

मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान में जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। लोगों की इसमें विशेष आस्था और विश्वास है। गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां काफी भीड़ रहती है और दूर-दूर से लोग दर्शनों के लिए आते हैं। भगवान गणेश का यह मंदिर जयपुर वासियों की आस्था का मुख्य केंद्र है। इतिहासकार बताते हैं कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 में लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। उस समय यह 500 वर्ष पुरानी थी। जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देखरेख में मोती डूंगरी की तलहटी में गणेशजी का मंदिर बनवाया गया था।

सिक्किम के गणेश टोक

गणेश टोक मंदिर गंगटोक-नाथुला रोड से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्‍िथत है। यह यहां करीब 6,500 फीट की ऊंची पहाड़ी पर स्‍िथत है। इस मंदिर के वैज्ञानिक नजरिए पर गौर करें तो इस मंदिर के बाहर खड़े होकर आप पूरे शहर का नजारा एकसाथ ले सकते हैं।

साभार- हिन्‍दुस्‍तान लाइव डॉट कॉम



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